सिगरेट के धुएं का छल्ला उडा के....

कुछ महीने पहले एक आदेश जारी हुआ था(शायद केन्द्र सरकार द्वारा), कि बडे परदे पर धूम्रपान दिखाया जाना प्रतिबंधित किया जायेगा.
इसे लागू करने की तारीख भी घोषित की गई थी(शायद २ अक्तूबर २००४ से). फिल्म वालों ने काफी हो हल्ला भी मचाया था, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रश्न भी उठा था लेकिन सरकार अडी रही थी और आदेश वापस नही हुआ था..
लेकिन भारत देश के अन्य असंख्य कानूनों क़ी तरह इसका भी अनुपालन करने का शायद किसी का कोई विचार है नही...अभी २-४ दिन पहले 'एक अजनबी' देख रहा था, अर्जुन रामपाल धडल्ले से छल्ले उडा रहे थे....और भी कई फिल्में होंगी, जो मैने नही देखी
कुछ सवाल उठते हैं...
जब कानून के पालन की कोई मंशा नही होती , तो बनाने की खुजली क्यों चलती है? किसी ने कहा था इस तरह का कानून बनाने को? या और कोई कारण था (सिगरेट कंपनियों से मोटा चंदा वसूलना था?)
अगर उल्लंघन हो रहा है, तो सजा क्या हो?
परदे पर धूम्रपान दिखाया जाना ज्यादा आपत्तिजनक है, या 'गरमागरम' सीन?

Comments

Kalicharan said…
Sorry in office -- I would say that the rule is a good one and should be upheld not just in movies but in tv also. Smoking needs to be moved from a cool thing to a bad habit. Hefty Fines probably. Also i think heroes smoking causing wrong impression on young kids mind is definately very harmful.
Anonymous said…
नितिन भाई, मेरे ब्लॉग पर पधारने और मिर्ची सेठ के ब्लॉग की तरफ ध्यान दिलाने का धन्यवाद. पढ़ कर अच्छा लगा की सुमोपा के और भी बहुत से पंखे हैं हिन्दी चिट्ठाकार जगत में. मुझे अपने ब्लॉग से आपको धन्यवाद देने का कोई सीधा उपाय नहीं दिखा इसलिये यहां पर टिप्प्णी कर रहा हूं.
रितेश

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