हिन्दी दिवस

आज हिन्दी दिवस था.पिछले १५ दिन से "हिन्दी पखवाडा" के तहत कई प्रतियोगिताएं चल रही थी. इन प्रतियोगिताओं मे ज्यादतर स्टाफ सदस्य ही हिस्सा लेते हैं, हम छात्रों में से सिर्फ मैं और भास्कर...और कोई नही...शायद समय के कमी या रुचि की कमी?
तो आज समापन समारोह था..मुख्य अतिथि थे, वरिष्ठ साहित्यकार पद्म श्री रमेश चन्द्र शाह.वैसे भोपाल साहित्यकारों, कवियों एवं कलाकारों का शहर है.भारत भवन में यहाँ नियमित रूप से प्रख्यात हस्तियों के कार्यक्रम होते रहते हैं, लेकिन हमारा दुर्भाग्य, हम आज तक भारत भवन नही जा पाए, रस्ता तक नही मालूम.वही,समय की कमी,थोडा आलस्य भी...
पिछले साल जरूर हमने शायर मंजूर एहतेशाम साहब को संस्थान बुलाया था, लेकिन "पब्लिक" यानि छात्रों को जुटाने में पसीने आ गये थे...और हाँ पिछले हिन्दी दिवस पर डाक्टर विजय बहादुर सिंह मुख्य अतिथि थे तो उनको सुनने का मौका मिल गया था.
तो आज शाह साहब की जो बात मुझे सबसे ज्यादा पसंद आयी वो उनका ये कथन कि अच्छी कविता लिखने के लिये अच्छा गद्य लिख पाना बहुत जरूरी है. उनके व्याख्यान का काफी हिस्सा इसी बात के इर्द-गिर्द था बात हमारे दिल में बैठ गई है और मेरी कोशिश रहेगी कि मैं अब नियमित रूप से गद्य भी लिखूं..चाहे वो कुछ भी हो...
बाकी तो हर साल की तरह हिन्दी दिवस पर जो होता है और जो कहा जाता है वही सब औपचारिकताएं

Comments

मेरा भी यही मानना है कि कविता में अभिव्यक्ति बहुत कठिन है , विशेषकर गहन विचार । गहन विचारों को कविता में अभिव्यक्त करने का नतीजा यह होता है कि लोग तरह-तरह के अर्थ निकालते हैं । हाँ , कविता कई मामलों में गद्य से अच्छी सिद्ध होती है , जैसे सरसता , याद करने की सरलता आदि ।
Anonymous said…
Great Effort, Nitin!

I really love readig in Hindi, but my typing speed is pathetic in Hindi, so typing in English!

Dr.Vijay Bahadur Singh taught me during my college days. Unfortunately, I have lost touch with him for sometime now. Great to hear that he had come again to IIFM. Once he had come to meet me when i was studying there in IIFM.

Best wishes,

Prashant Mishra
PFM 2000-02

Popular posts from this blog

किरकिट पर कुछ........

तुम और मैं

...तो क्या