....कारवाँ बनता गया.
नारद के पुरालेख वाले हिस्से पर नजर डालेंगे तो पायेंगे कि २००६ में अभी तक हिंदी चिट्ठों पर करीब 3000 प्रविष्टियाँ लिखी जा चुकी हैं...खुशी की बात यह है कि २००५ के पूरे साल में जितना लिखा गया था, उससे ज्यादा २००६ की पहली छमाही में ही छाप दिया गया,(यह संख्या सिर्फ उन चिट्ठों की है जिनकी खबर नारद को है...वास्तविकता में यह इससे काफी ज्यादा हो सकती है) और यह सही मायनों में हिन्दी ब्लागमंडल(और अन्तर्जाल)पर हिन्दी के प्रसार का द्योतक है...आशा करते हैं कि २००६ की दूसरी छमाही में हम इससे भी दुगुना-तिगुना-चौगुना लिखेंगे...
साथ ही मैं यह भी आशा करता हूँ कि आने वाले समय में हिन्दी चिट्ठों में विविधता बढती जायेगी....जो कि इन्हे समृद्ध बनाने के लिये काफी जरूरी है...करीब साल भर पहले तक अधिकतर चिट्ठे साहित्यिक हुआ करते थे...मैने खुद अपने चिट्ठे की शुरुआत अपने कुछ कविताओं से की थी...जिन्हे कोई नही पढता था...लेकिन अब काफी बदलाव आ रहा है साहित्यिक के साथ तकनीकी ज्ञान , खबरी, धार्मिक चिट्ठे भी दिखाई दे रहे हैं...हाँ टोने-टोटके की आलोचना और इसके बंद किये जाने का मुझे दुख हुआ...
परिचर्चा के आने से लोगों के बीच संवाद भी बढा है..हाँ इसका चिट्ठाकारी पर क्या असर पडेगा ये देखना होगा...क्योंकि कम से कम एक ऐसे चिट्ठाकार को तो मैं जानता हूं, जिन्होने परिचर्चा शुरु होने के बाद से चिट्ठे पर लिखना कम कर दिया है(और इस बात को स्वीकार भी किया है)...बाकि लोगों के क्या हाल है कृपया अवगत कराएं
एक और विचारणीय तथ्य...कई पुराने चिट्ठों के शटर डाउन हो चुके हैं...उम्मीद है कि वे पुनर्जीवित होंगे और फिर से लिखना शुरू करेंगे...
साथ ही मैं यह भी आशा करता हूँ कि आने वाले समय में हिन्दी चिट्ठों में विविधता बढती जायेगी....जो कि इन्हे समृद्ध बनाने के लिये काफी जरूरी है...करीब साल भर पहले तक अधिकतर चिट्ठे साहित्यिक हुआ करते थे...मैने खुद अपने चिट्ठे की शुरुआत अपने कुछ कविताओं से की थी...जिन्हे कोई नही पढता था...लेकिन अब काफी बदलाव आ रहा है साहित्यिक के साथ तकनीकी ज्ञान , खबरी, धार्मिक चिट्ठे भी दिखाई दे रहे हैं...हाँ टोने-टोटके की आलोचना और इसके बंद किये जाने का मुझे दुख हुआ...
परिचर्चा के आने से लोगों के बीच संवाद भी बढा है..हाँ इसका चिट्ठाकारी पर क्या असर पडेगा ये देखना होगा...क्योंकि कम से कम एक ऐसे चिट्ठाकार को तो मैं जानता हूं, जिन्होने परिचर्चा शुरु होने के बाद से चिट्ठे पर लिखना कम कर दिया है(और इस बात को स्वीकार भी किया है)...बाकि लोगों के क्या हाल है कृपया अवगत कराएं
एक और विचारणीय तथ्य...कई पुराने चिट्ठों के शटर डाउन हो चुके हैं...उम्मीद है कि वे पुनर्जीवित होंगे और फिर से लिखना शुरू करेंगे...
Comments
बीच में तुम्हारा लिखना भी कुछ कम ही दिखता था!
:-)
so HIndi ke astitva ko aur vividha evam grahya banane ke liye chitthakaro ki koshisho ko salam//
I am sure you will like it.
Vijay Rana