उदयपुर के गरबे और खाना
नवरात्रा शुरू हो गये हैं और किस्मत से मैं इस बार उदयपुर में हूँ अपने प्रोजेक्ट के लिये. गुजरात, जो कि गरबा और डांडिया क उद्भव स्थल माना जाता है, यहाँ से पास ही है..सो यहाँ होने वाले गरबों पर गुजराती 'टच' साफ दिखाई देता है.और अच्छी बात यह , कि मेरे आफिस के सामने ही एक पंडाल सजा हुआ है...तो आजकल रात को ११ बजे तक बैठ कर डांडिया रास का रसास्वादन किया जाता है...
और उदयपुर का खान पान...क्या मिर्च खाते है यहाँ के लोग यार्..अपने तो आगे पीछे सब तरफ से धुआँ निकलने लगता है, ऊपर से तुर्रा यह कि जब टिफिन वाले से कहा कि भैया, खाने में मिर्च जरा कम डाला करो तो भाई बोला,"मिर्च ज्यादा कहाँ है...ये तो मीठी वाली मिर्च है "..ठीक है भाई, धन्यवाद तेरा जो तूने तीखी मिर्च नही खिलाई मुझे...
और उदयपुर का खान पान...क्या मिर्च खाते है यहाँ के लोग यार्..अपने तो आगे पीछे सब तरफ से धुआँ निकलने लगता है, ऊपर से तुर्रा यह कि जब टिफिन वाले से कहा कि भैया, खाने में मिर्च जरा कम डाला करो तो भाई बोला,"मिर्च ज्यादा कहाँ है...ये तो मीठी वाली मिर्च है "..ठीक है भाई, धन्यवाद तेरा जो तूने तीखी मिर्च नही खिलाई मुझे...
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