ये हैं राधेश्याम जो SPWD में ही कार्यरत हैं, फिर ज्योति, जो मेरी सहपाठी हैं और प्रोजेक्ट में मेरे साथ ही काम कर रही हैं और फिर विकास जो राधेश्याम के मित्र हैं और साथ ही रहते हैं...और ये चाय बडी अच्छी बनाते हैं :)
भारत ने वेस्टइंडीज में आखिरकार ३५ साल बाद सीरिज जीत ही ली....अनिल कुंबले ने २३ विकेट लेकर एक बार फ़िर साबित किया कि वे अभी भी भारतीय टीम की जान हैं...और द्रविड के बारे में तो कुछ कहने की जरूरत ही नही....a true leader....leading by example....मुझे आश्चर्य नही होगा अगर जल्द ही कोई Management School द्रविड को लेकर Leadership पर कोई Case Study बना दे... भारतीय टीम को शुभकामनाएं...वैसे सीरिज की विजय फ़ुटबाल के हो-हल्ले में दब कर रह गई....और इतनी चर्चा इसे शायद नही मिली जितनी अन्यथा मिलती... खैर, इस लेख को लिखने का मेरा मंतव्य सिर्फ़ शुभकामना देना भर नही था....कुछ और बात थी जिसने मेरा ध्यान खींचा ....भारतीय टीम का विदेशी धरती पर जीत का अकाल वैसे तो हमेशा चर्चा का मुद्दा रहता था...लेकिन आज मैने रेडिफ़ पर अब तक की भारतीय जीतों(उपमहाद्वीप के बाहर) की सूची देखी.... अब तक भारत ने उपमहाद्वीप के बाहर १९ टेस्ट जीते हैं..... मौटे तौर पर अगर में इन विजयों को समय के हिसाब से बांटूं तो वो इस तरह की तस्वीर दिखाती है सन ६५ से ७५ (१० साल) - ७ टेस्ट (३७ %) सन ७५ से ८६ (११ साल) - ५ टेस्ट (२६ ...
आज आरक्षण,महाजन,आमिर खान,लाभ का पद,क्रिकेट इत्यादि के अलावा कुछ बातें... क्या आपको गेहूँ के भाव पता हैं?.... पिछले कुछ दिनों(महीनों)से १० रुपये प्रति किलो से १८-२० रुपये प्रति किलो तक चल रहे हैं सरकार देश के किसानों से ७ रुपये किलो गेहूँ खरीद रही है, और दूसरे देशों से १० रुपये किलो तक में आयत कर रही है उडद मूँग चना तुवर आदि दालों के भाव ४६ से ६० रुपये प्रति किलो जा पहुँचे हैं.. शकर २०-२१ रुपये किलो हो गई है सब्जियों के दाम भी कमोबेश आसमान छू रहे हैं (वैसे मैने बहुत दिन से खरीदी नही) चांदी १८-१९००० रुपये प्रति किलो....साल डेढ साल पहले तक ८-१० हजार रुपये प्रति किलो थी सोना ९-९५०० रुपये प्रति दस ग्राम...साल डेढ साल पहले तक ६-७००० रुपये प्रति दस ग्राम था रेलवे स्टेशनों पर सार्वजनिक नलों में पानी नही मिलता हर जगह् बोतलबंद पानी जो उपलब्ध है... पेट्रोल और डीजल के दाम के बारे में कुछ ना कहना ही बेहतर है....अभी कल ही फिर बढा दिये... शहरों में और महानगरों में एक आम आदमी के लिये अपना एक घर खरीद पाना असंभव सा हो गया है अभी कुछ समय पहले सुनील जी ने सपनों पर एक लेख लिखा था...आप बताइये कोई कैसे करेगा...
सभी खास-ओ-आम को सूचित किया जाता है कि अपनी दुकान नई जगह शिफ़्ट हो गई है...नया पता ये रहा.... सिर्फ़ एक क्लिक की दूरी पर..:) ये दुकान भी चलती रहेगी..पर हो सकता है माल यहां तक पहुंचने में कभी कभी वक्त लग जाये... नारद जी को अलग से चिट्ठी लिख कर सूचित कर दिया गया है.. जब भी वक्त मिले...पधारियेगा...हम भी कोशिश करेंगे कि दुकान नियमित रूप से चलती/खुलती रहे और वहां माल की आपूर्ती बनी रहे.. सधन्यवाद
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