नजरिया
यह तस्वीर आज मेल में प्राप्त हुई.य़ह एक Optical Illusion(हिन्दी में शायद, दृष्टिभ्रम) है.ज़ब आप दोनो चेहरों जो पास से देखते हैं तो बांई ओर वाल चेहरा गुस्से में प्रतीत होता है और दाँयी ओर वाला सहज मुस्कान में. अब जरा अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन से १०-१२ कदम दूर जाइये और पुनः दोनो चेहरे देखिये, स्थिति एकदम विपरीत दिखाई देगी, बाँई ओर वाल चेहरा सामन्य, सहज और दाँयी और वाला गुस्से में...ऐसा क्यों हुआ? तस्वीर वही, देखने वाल मैं वही,बदला क्या? सिर्फ दूरी...या नजरिया?
य़ही बात कई बार मैं असल जिन्दगी में भी महसूस करता हूँ...लोग वही रहते हैं,मिलने वाले, देखने वाले,जानने वाले, पर फिर भी सब कुछ बदल जात है, सिर्फ एक चीज़ के बदलने से...देखने का नजरिया, या फिर कहें, आपका दृष्टिकोण...वक्त, हालत, परिस्थितियाँ, सब कुछ आपके नजरिये(या कहें Perception)पर निर्भर करती हैं...
गिलास किसी को आधा खाली दिखता है, और किसी को आधा भरा,और यहीं सब कुछ इधर का उधर हो जाता है.आप कहाँ खडे हैं, किसके बारे में कैसा महसूस करते हैं, और क्यों करते हैं, सब कुछ यहीं आकर टिकता है.....
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