परिवर्तन

परिवर्तन ही सतत है...Only Change is Constant..

यह बात कई जगहों पर कही और सुनी जाती है और लगभग हर पीढी,देश और काल के परिपेक्ष्य में सटीक भी बैठती है...लेकिन जो चीज़ ध्यान देने वाली है वो है परिवर्तन की दर...The rate of Change...जिस गति से परिवर्तन हो रहे हैं, क्या मानव उसके लिये तैयार है?

एल्विन टॉफ्लर अपनी पुस्तक त्रयी Future Shock, Power Shift और Third Wave में इस बात को बखूबी इंगित करते हैं...

जरा सोंचिये...ज्यादा दूर न जाकर सिर्फ पिछले २ हज़ार सालों का इतिहास उठाते हैं...करीब १६०० इस्वी तक मानव समाज पूर्णतः कृषि आधारित था...अगले मात्र ३०० सालों में औद्यौगिक क्रांति ने पूरे विश्व में पैर पसार लिये. कृषि आधारित समाज को उद्योग आधरित समाज बनने में मात्र ३०० साल...??
अगर मानव उत्पत्ति का इतिहास देखा जाये,तो ३०० साल मानव जाति के तो संपूर्ण इतिहास के लिये एक पल के बराबर भी नहीं हैं...

इसकी तुलना किजिये इस बात से,कि जब मानव अपने वर्तमान स्वरूप में आया (होमो सेपियन्स, जो सीधा चल सकते थे....सोंच सकते थे..आदि आदि)..तो उसे लाखो वर्ष खानाबदोश से कृषि आधारित समाज बनने में लगे...कृषि आधारित समाज भी कई हजार वर्ष तक चलता रहा...लेकिन कृषि से उद्योग की दूरी सिर्फ ३००-४०० साल में...????

और अब आइये वर्तमान युग में और इसी चीज की तुलना कीजिये पिछले ५० वर्ष में हुए बदलाव से...हम Industrial Revlution को पीछे छोड कर Information Revolution में प्रवेश कर रहे हैं...जिसका कि उदाहरण ये कम्प्यूटर, इन्टरनेट और मोबाइल क्रांति है और अगर बदलाव की यही दर रही तो सोंचिये अगले २० वर्ष हमें कहाँ से कहाँ ले जाने वाले हैं?

सूचना क्रांति की बाद कौन सी क्रांति होगी...Genetic?...Biotech...?और क्या इन परिवर्तनों के लिये मानव(शरीर एवं समाज दोनो)..मानसिक, भौतिक और जैविक रूप से तैयार है?

सोंचिये....सोंचते समय ये भी सोंचियेगा कि २० साल पहले आप आज याने वर्तमान(उस समय का भविष्य) के बारे में क्या सोंचते थे?.(बशर्ते कि आप की उम्र २० साल से ज्यादा हो और २० साल पहले आपने अगले २० साल के बारे में सोंचा हो..:))

सोंचिये...मानव समाज अगले २० साल में कहाँ होगा, प्राथमिकताएं क्या होगी...और तकनीक...वो हमें क्या क्या दिखा सकती है..क्या क्या गुल खिला सकती है? जरा सोंचिये...

और हाँ , अगर आप पढने के शौकीन हैं और आपने टॉफ्लर की उक्त पुस्तकें नही पढी हैं...तो अवश्य पढियेगा...दिमाग की खिडकियाँ खोल देती हैं...(Soft Copy भी मिल जायेगी)

Comments

Anonymous said…
नितीन भाई, सोफ्ट कापी की लिंक हो तो दे दिजिये.
Pratik Pandey said…
नितिन भाई, आपने 'फ़्यूचर शॉक' का सार बड़े ही सरल शब्दों में कुशलता से व्यक्त किया है। वैसे, मेरे हिसाब से भारत अभी 'फ़्यूचर शॉक' के‍ लिए क़तई तैयार नहीं है और यहाँ परिवर्तन की दर अन्य विकसित देशों के मुक़ाबले काफ़ी कम है। अगर हमें दुनिया में अपनी स्थिति मज़बूत करनी है, तो हमें सामाजिक और व्यक्तिगत स्तरों पर परिवर्तन की रफ़्तार को बढ़ाना होगा।
Udan Tashtari said…
नितिन भाई,अच्छा लिखा है परिवर्तन की रफ़्तार बढ़ना चाहिये।
--समीर लाल
Basera said…
नितिन भाई, सचमुच आँखें खोलने वाला लेख लिखा है आपने। बहुत धन्यवाद।
Nitin Bagla said…
आशीष जी, लिंक मेरे पास नही है..मेरे पास कितबें ही थीं पर वो घर पे कम्प्यूटर में पडी हैं...आगे कभी मेल कर दूंगा

प्रतीक जी, मेरा मानना है कि पिछले १०-१५ वर्षों में भारत में भी तेजी से चीजें बदली हैं...रफ्तार और तेज हो..या और तेज रफ्तार के लिये हम तैयार हैं या नही ये चर्चा का विषय हो सकता है...
मैने जो महसूस किया है वो अगली पोस्ट में लिख रहा हूं

समीर जी, रजनीश जी, टिप्पणी के लिये धन्यवाद..

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