घडी इम्तिहान की

उस शाम को सोंचा था जब इस पल के बारे में,
सोंचा था अभी दूर हैं घडियाँ मुकाम की.
कब बीत गया वक्त कुछ ना खबर हुई,
लगता है ऐसा जैसे वो कल ही कि शाम थी.

लो...फिर आ गयी घडी इम्तिहान की.

# नितिन

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