वापसी

काफी दिनों बाद यहाँ लिखने का मौका मिला है...करीब एक सवा महीना हो गया...कैसे दिन बीते, पता ही नही चला..करीब एक महीने से फील्ड में था...लगभग ६००० किलोमीटर और चार राज्यों(झारखंड,उडीसा,आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ)का सफर...
अनगिनत लोगों से मिलना,तरह तरह का खान पान,बोल-चाल,खट्टे-मीठे-क़डुवे अनुभव...जब फील्ड में होते हैं तो रोज कुछ नया महसूस होता है,नया अनुभव होता है, इतना कुछ होता है वहाँ लिखने के लिये, लेकिन लिखने का मौका नही मिलता...और कालेज पहुँचने के बाद फिर जिन्दगी में एकरसता आ जाती है क्योकि वहां बँधा-बँधाया ढर्रा चलता है, और व्यस्तताएं इतनी होती हैं कि बस..
बाहर साइबर कैफे पर जाकर तो हिन्दी मेल भी नही पढ सकते(हर जगह '९८), लिखना तो दूर कि बात, सबसे पहले तो यूनिकोड फान्ट डालना पडता है...खैर अब सारी कसर निकालने की कोशिश करूंगा(लिखने और पढने दोनो की)
क़ल वापस उदयपुर पहुँचे है, अभी २-३ दिन गुजरात और जाना है, फिर रिपोर्ट बनानी है और फिर प्रस्तुतीकरण (presentation)उदयपुर और दिल्ली में...वापस IIFM पहुँचने तक ५ दिसम्बर हो ही जायेगी...

दिवाली इस बार बडी फीकी रही, हैदराबाद में था...कोई साथ नही था. स्कूल के बाद शायद पहली बार घर से बाहर दिवाली मनाई, और फिर उसके बाद अन्न्कूट का उत्सव...घर को बहुत 'मिस' किया...शायद वापसी में भोपाल लौटते समय घर होते हुए निकलूं

Comments

नितिन जी आप को हिन्दी ब्लॉगमंडल में मिस किया गया। आप के यात्रा वृतांत का इंतजार रहेगा। और दिवाली की न कहें सात साल हो गए घर से बाहर दिवाली मनाते मनाते। शायद सात और लगेंगे। अब राम जी को भी १४ वर्ष तो लग ही गए थे। देखें अपने कितने लगते हैं।

पंकज

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