टिप्पणी.....?

अभी फुरसतिया जी की टिप्पणी-व्याख्या पढी, तो ये बात याद आ गयी.
हैदराबाद प्रवास के दौरान भोलाराम से मिलना हुआ जो अपने जीवन की कुछ बातें ब्लोग के माध्यम से व्यक्त करते हैं....वैसे भोलराम से हमार रिश्ता स्कूली दिनों से पहले है और एक ब्लोगर के रूप में बाद में...नवोदय विद्यालय पचपहाड में ये हमारे जूनियर थे...
काफी दिनों बाद मिलना हुआ... बातों बातों में मैने पूँछा, यार आजकल लिखते नही हो कुछ ब्लोग पर...तो बोले, लिखना तो चाहता हूँ पर टिप्पणियों से डरता हूँ, मैने पूँछा क्यों, तो पता चला कि अभी थोडे दिन पहले भोला के एक पोस्ट पर 'तेज रफ्तार लेन में गाडी चलाने वाले' अतुल जी ने करारी टिप्पणी कर दी थी, कि क्या ये अपनी रामकहानी लिखते रहते हो...कुछ "अच्छा" लिखो...तो बेचारे भोला घबरा गये...
खैर मैने उसे ढांढस बंधाया ..सो फिर बेचारा लिखने को तैयार हुआ है...अभी तक तो लिखा नही, देखते है, कब जागता है ;-)

Comments

नितिन भाई, मेरा मैसेज भोले तक पहुँचा देना

"भोले... तू तो बहुत भोला है रे...कहाँ अतुल की बातों मे आ रहा है, वो तो तेरे को उचका रहा है और ज्यादा लिखने प्रेरणा दे रहा है। बड़े लेखको के यही तो गुंण है,सामने सामने तारीफ़ नही करते..थोड़ी थोड़ी सलाह देकर ज्ञानवर्द्धन करते रहते है।इसलिये तू हठ छोड़...और अब लिखने की सोच।
तू लिख... दिन की बाते तो लिख ही रहा है, रात की बाते भी लिख...कोई मनाही नही है। हम बाहर लट्ठ लेकर बैठा हूँ रे...कोई टोका टाकी करे तो बताना.... और अतुल मिंया? तुम्हारी दुकान पर बहुत दिनो से ताला लटक रहा है? क्या बात है, भाभीजी ने इमरजेन्सी लगा रखी है का?"


बड़ी कृपा होगी।
अरे यार,भोला को हमने भी लिखा था कि उसके मन में जो आता है सो लिखे। हम हैं न पढ़ने के लिये।कौन रोकता है हम देखेंगे।
पता नहीं कहाँ पढ़ा था कि चिट्ठा ऐसे लिखों जैसे कि नंगे नाच रहे हो, गर ज्यादा सोचा तो लिख नहीं पाओगे। मस्त रहो व्यस्त रहो।

पंकज
Nitin Bagla said…
कुछ ऐसे ही अन्दाज में मैने भी उसे समझाया था, मेल भी कर दिया है...जायेगा कहा...वापस तो आना ही हैकुछ ऐसे ही अन्दाज में मैने भी उसे समझाया था, मेल भी कर दिया है...जायेगा कहा...वापस तो आना ही है

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