जो मैने देखा

अपनी पिछली पोस्ट में मैने मानव समाज में हो रहे परिवर्तन की गति पर चर्चा की थी... सौभाग्य से (या दुर्भाग्य से) मैं जिस काल खंड में बडा हुआ हूं उसमें ये परिवर्तन काफी तेजी से हो रहे हैं...

जब थोडा समझने लगा..करीब १०-११ साल की उम्र से...तब भारत आर्थिक उदारीकरण के युग में प्रवेश करने वाला था...और देखते देखते १५-१६ सालों में कितना कुछ बदल गया..

आज वो कुछ चीजें जो मेरे साथ बडी हुई और बदलीं...(मेरी लम्बाई,चश्मे के नम्बर, और दाढी-मूंछों के अलावा :) ) लगभग सभी बातें भारतीय समाज से ताल्लुक रखती हैं....मेरे हमउम्र और भी लोगों ने इन्हे महसूस किया होगा

मैने क्रिकेट को जुनून और सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान बनते देखा है

मैने शाहरुख खान को 'सर्कस'से निकल कर बॉलीवुड का 'बादशाह'बनते देखा है

मैने दूरदर्शन की साप्ताहिक फिल्म का बेसब्री से इंतजार किया है, और ५० चेनलों में भी कोई एक कार्यक्रम ठीक से ना देख पाने की बेबसी को भी महसूस किया है

मैने अपने घर फोन लगाने के लिये STD Booths पर ४-४ घन्टे बिताये है (हमेशा लाइन खराब मिलती थी) और मोबाइल से सुदूर गावों से घर पे बात की है

मैने Black & White TV को रंगीन मे बदलते देखा है

मैने अपने गांव में प्याऊ पर पानी भी पिलाया है, और एक बोतल पानी को १० रुपये में बिकते भी देखा है

मैने छोटे छोटे गांवों में पानी की किल्ल्त देखी है, पर वहां शराब का ठेका, या पेप्सी की दुकान भी देखी है

जब मेरे पिताजी ने मुझे पहली बार होस्टल में छोडा था, तो खर्च के लिये २० रुपये मिले थे, जो पूरे २ महीने चले, आज २० रुपये मे ठीक से नाश्ता भी नही कर पाता

प्रथम श्रेणी में पास होने पर लडकों को खुशी मनाते देखा है, तो कई अभिभावकों को अपने बच्चों को इस बात के लिये कोसते हुए सुना है कि उहे "सिर्फ" ८९% अंक ही क्यों मिले

मैने करगिल की विजय देखी है और कंधार कंड की त्रासदी झेली है

मैने डाकुओं को सांसद बनते देखा है, तो एक प्रोफेसर व वैज्ञानिक को देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होते देखा है

मैने गानों को छांट-छांट कर उनके केसेट भरवाये हैं, और पसंदीदा गाने Internet से सीधे लोड भी किये हैं

मैने चाचा चौधरी नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव को पढा है, तो हैरी पोटर और सुपरमेन भी देखे/पढे हैं

मैने अपने पापा को दूरदर्शन के शाम ८:३० वाले समाचार का इंतजार करते देखा है तो २४ घंटे खबरिया चैनलों की बकवास भी सुनी है

मैने 'रामायण' के समय सूनी सडके देखी है तो सास बहू के मिहिर के लिये लोगों को हल्ला करते भी देखा है

मैने 'सुरभी' के लिये लोगों को ६ रुपये का प्रतियोगिता पोस्टकार्ड भेजते देखा है तो इंडियन आइडल के लिये ६ रुपये का SMS भी भेजते देखा है

और भी बहुत कुछ है..अभी सब ध्यान नही आ रहा..आप भी बताइयेगा

Comments

मैने किसी के सुख-दुख में मुहल्ले के सब लोगों को मदद करते देखा है और मैने पड़ौसी को पड़ौसी के द्वारा ना पहचानते हुए भी देखा है।
प्रेमलता पांडे
नितिन भाई, हमने बहुत कुछ देखा और आपके टिप्पणी के कॉलम में लिखा भी पर आपके वर्ड वेरिफ़िकेशन वाले कॉलम में गलत शब्द टाईप करने के बाद सब कुछ नष्ट होते भी देखा है,
फ़िर से टाईप करना पड़ेगा, आप से अनुरोध है कि वर्ड वेरिफ़िकेशन के ऑप्शन को निकाल देवें।
Pratik Pandey said…
मैंने यह देखा कि इतना सब होने के बावजूद भारत में परिवर्तन की रफ़्तार अन्य विकसित देशों के मुक़ाबले काफ़ी कम है। इसे हर स्तर पर और ज़्यादा तेज़ किए जाने की ज़रूरत है, ताकि विश्व में भारत को इसके वांछित मुक़ाम तक पहुँचाया जा सके।
मैने सपनो मे भारत को देखा
सपनो को टूटते देखा
फिर सपनो को जुड़ते हुऐ भी देखा
यह भी अनुगूँज का एक पूरा विषय बनने लायक है, अरे नितिन भाई, क्यों न इस विषय पर चर्चा आगे बढायें।
Pratyaksha said…
दिलचस्प मुद्दा है. सही लिखा आपने
Nitin Bagla said…
प्रेमलता जी, कडवा सच बयान किया है आपने...

सागर जी, आपकी टिप्पणी एवं विचारों से वंचित रह जाने पर दु:ख हुआ,स्पेम कमेन्टस से परेशान होकर यह ऑप्शन लगाया है,क्योंकि उनसे बचने का और कोई तरीका नही दिखता...इसीलिये फिलहाल तो यह ऑप्शन जीवित ही रख रहा हूं...आपके विचारों से कृपया एक नई टिप्पणी या पोस्ट के माध्यम से अवगत करायें..

प्रतीक जी, हम अभी भी भारत की तुलना विकसित देशों से नही कर सकते...उनकी और हमारी समस्याओं, हालातों और प्राथमिकताओं मे बहुत फर्क है, ऐसा मेरा मानना है...रफ्तार तेज किये जाने की जरूरत है,इस बात से मैं सहमत हूँ, परंतु यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि सभी लोग इस रफ्तार के भागीदार बन सकें,ऐसा ना हो कि समाज का एक बडा हिस्सा साथ दौड ही न पाये (आज भी भारत की ७०% जनसंख्या गाँवों में निवास करते है, metros में 'फील गुड' चल रहा होगा, लेकिन उन गांवों की स्थिति आज भी नही सुधरी है)

उन्मुक्त जी...'सपना क्या है, नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी..'...टूटना-बिखरना तो चलता रहता है...हमारे सपने जरूर सच होंगे

e-Shadow जी, सुझाव बहुत अच्छा है, चर्चा हम बिल्कुल आगे बढा सकते हैं, लेकिन 'अनुगूंज'का आयोजन बडा जिम्मेदारी वाला काम है और मैं थोडा लापरवाह किस्म का इंसान हूं :( ...

प्रत्यक्षा जी, टिप्पणी का धन्यवाद, 'दिलचस्प मुद्दे' पर आपके भी विचार जानना चाहेंगे :)
nitin ji,
vichar aapke bade achchhe he aur mene aapki medha ki shakti ko abhi aur teevrata se mahsoos kiya he/
achchha he jamin se jude aadmi ki pehchan hii ye hoti he ki voh samay ki dhar me bahte huye bhi kinaro pe chhut gaye logo ke baare me kuchh karna chahta he/
bhaskar
Hemu said…
Hello Nitin

Jho maine bhi bahut baar soocha aur yaad kiya, usko tumne bahut sundar tareeke se varnan keye ho, bahut accha laaga is post ko padke aur yeh bi kushi huan ki mere soch be kareeb kareeb vaise hi tha.

Badayi ho.

Tumhare Mitr
Hemu
रणवीर said…
सामाजिक परिवर्तन की एक झलक आप यहाँ भी देख सकते हैं...सुलेखा-साहित्य

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