महिमा हिन्दी फिल्मोँ की


यह तस्वीर अभी पिछ्ले महीने उडीसा मेँ अपने प्रोजेक्ट के दौरान ली थी.जिस गाँव मेँ मैँ गया था वो मुख्य सडक से काफी अन्दर था.करीब ४-५ किलोमीटर साइकिल चलाने के बाद हमेँ साइकिल भी छोडनी पडी और दो पहडियाँ(लगभग ३ किलोमीटर )पैदल चल कर मैँ गाँव मेँ पहुचा.१५-२० घरोँ का टोला,क़ोई पानी बिजली की सुविधा नही, सडक् नही,स्कूल नही,साल मे सिर्फ तीन चार महीने का अनाज होने लायक खेती और बाकी समय जंगल पर निर्भरता, ये सब तो वो बातेँ थी जिनकी मुझे पहले से आशा थी क्योकि सँसाधनो से भरपूर र्होने के बाद भी उडीसा मे आम जनता(ज्यदातर आदिवासी)के हाथ मे कुछ नही पहुचता ये बात मे पिछ्ले २० दिनोँ मे देख चुका था. लेकिन जिस चीज़ ने मुझे सबसे ज्यादा आश्चर्य चकित किय वो थे इस घर मेँ लगे हुए बालीवुड कलाकारोँ के चित्र. य़ह अलग बात है कि वो लोग इनमेँ से किसी का नाम नही जानते थे लेकिन फिर हिन्दी फिल्मोँ की पहुँच का अहसास तो इस बात से हो ही जाता है.
एक और चीज है और वो है हिन्दी फिल्म संगीत. मै कही भी गया चाहे वो गाँव हो या शहर , बस हो य जीप , मैने हर जगह सिर्फ और सिर्फ हिन्दी गाने बजते सुने..कही भी उडिया या अन्य भाषा के गाने नही सुने.

Comments

ये अजीब जरूर लगता है, लेकिन हिन्दी को लोकप्रीय बनाने और उसे दुनीया के हर कोने मे पहुचाने मे, बालिवुड का काफी बडा योगदान रहा है.
-आशिष
Nitin Bagla said…
सही फरमाया जनाब....

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